जिन्दगी के सफर में हर कदम पर जिसने तेरा साथ दिया
उस पर हुक्म चलाया क्योँ ?
माँ का दिल दुखाया क्योँ ?
खुश रखा जिसने तुझको आँख में आंसू ना आने दिया
उसकी आँख में आंसू लाया क्योँ ?
माँ का दिल दुखाया क्योँ ?
अपनी हस्ती भी लुटादी जिसने तेरे सपनों को पूरा करने के लिए
उसके सपनों का घर जलाया क्योँ ?
माँ का दिल दुखाया क्योँ ?
हजारों गम सहन किये जिसने तेरे इक सजदे के बदले
विंकल घर छोड़कर आया क्योँ ?
माँ का दिल दुखाया क्योँ ?
Thursday, October 22, 2009
जब बेटी को घर से विदा किया जाता है ....
जब बेटी को घर से विदा किया जाता है
तो आँख से आंसू आ ही जाता है
होती है वो भी इक जिगर का टुकडा
जब टुकडा तन से खो जाता है
तब आँख से आंसू आ ही जाता है
पली बड़ी आपने कदमों पर कड़ी
खुशिओं की डाली बेटी के चेहरे पर जडी
जब खुशिओं को घर से रुखसत किया जाता है
तब आँख से आंसू आ ही जाता है
माँ का दिल है बहुत बडा
इसके आगे जग छोटा
ये दिल उस वक्त छोटा हो जाता है
जब बेटी को घर से विदा किया जाता है
जायेगी जहां है उसका अपना घर
भूले ना आपने संस्कार मगर
उसका घर तब पराया हो जाता है
जब उसको घर से विदा किया जाता
जब बेटी को घर से विदा किया जाता है
तो आँख से आंसू आ ही जाता है......
तो आँख से आंसू आ ही जाता है
होती है वो भी इक जिगर का टुकडा
जब टुकडा तन से खो जाता है
तब आँख से आंसू आ ही जाता है
पली बड़ी आपने कदमों पर कड़ी
खुशिओं की डाली बेटी के चेहरे पर जडी
जब खुशिओं को घर से रुखसत किया जाता है
तब आँख से आंसू आ ही जाता है
माँ का दिल है बहुत बडा
इसके आगे जग छोटा
ये दिल उस वक्त छोटा हो जाता है
जब बेटी को घर से विदा किया जाता है
जायेगी जहां है उसका अपना घर
भूले ना आपने संस्कार मगर
उसका घर तब पराया हो जाता है
जब उसको घर से विदा किया जाता
जब बेटी को घर से विदा किया जाता है
तो आँख से आंसू आ ही जाता है......
तेरे सर पर मेरा हाथ है...
माँ बोली बेटा तुम अब बड़े हो गए हो
देखो अपने कदमों पर खडे हो गए हो
ये कांपते हाथ बेटा क्या कर सकते हें
तेरे लिए हरदम बस दुआ कर सकते हें
मेरी आँखों में ऑंखें डाल तो देख एक पल
तुझे दिखेगा मेरे बेटे तेरे आने वाला कल
मेरी उम्मीदों पर तुम सदा खरा उतरना
भूलके भी कोई तुम बुरा काम ना करना
हमने इज्जत से खाई, इज्जत से कमी है
बेटे इज्जत बनाये रखना इसी में भलाई है
अब भी है प्यार भरा बेटे तेरे लिए सीने में
तेरे लिए जीती हूँ वरना रखा क्या जीने में
शायद कुछ दिन, कुछ महीनो का अपना साथ है
घबराना मत बेटा तुम तेरे सर पर मेरा हाथ है
देखो अपने कदमों पर खडे हो गए हो
ये कांपते हाथ बेटा क्या कर सकते हें
तेरे लिए हरदम बस दुआ कर सकते हें
मेरी आँखों में ऑंखें डाल तो देख एक पल
तुझे दिखेगा मेरे बेटे तेरे आने वाला कल
मेरी उम्मीदों पर तुम सदा खरा उतरना
भूलके भी कोई तुम बुरा काम ना करना
हमने इज्जत से खाई, इज्जत से कमी है
बेटे इज्जत बनाये रखना इसी में भलाई है
अब भी है प्यार भरा बेटे तेरे लिए सीने में
तेरे लिए जीती हूँ वरना रखा क्या जीने में
शायद कुछ दिन, कुछ महीनो का अपना साथ है
घबराना मत बेटा तुम तेरे सर पर मेरा हाथ है
लौट आ बेटे ......
बेटा
हवा से बातें कर रहा
होकर बुलट पर स्वार
माँ
घुट रही बंद कक्ष में
देखो कितनी लाचार
बेफिक्र
धुंए के छल्ले के समान
है उड़ रहा
लुप्त हो जायेगा
आकाश के गर्भ में जाते-जाते
सही वक्त है
लौट आ बेटे
घर अपने
होने वाली है पूरी
तेरे दिल की मुराद
कह उठी माँ
अपनी अंतिम बात जाते-जाते
हवा से बातें कर रहा
होकर बुलट पर स्वार
माँ
घुट रही बंद कक्ष में
देखो कितनी लाचार
बेफिक्र
धुंए के छल्ले के समान
है उड़ रहा
लुप्त हो जायेगा
आकाश के गर्भ में जाते-जाते
सही वक्त है
लौट आ बेटे
घर अपने
होने वाली है पूरी
तेरे दिल की मुराद
कह उठी माँ
अपनी अंतिम बात जाते-जाते
तब रोयी बहुत माँ की आंखें ...
जब डरा गयी बेटे की आँखें
तब रोयी बहुत माँ की आंखें
असहाय बनकर देखती रही वो
गहरी झुरिओं वाली बाबुल की आँखें
शायद उस वक्त वो सो चुकी थी
आसमां पर बैठे अल्लाह की आँखें
कोमल हाथों से आई अश्क पोछने
बेहद सीलन भरी बेटी की आंखें
कविता लिखते वक्त क्या कहूँ
कितनी रोयी थी विंकल की आंखें
तब रोयी बहुत माँ की आंखें
असहाय बनकर देखती रही वो
गहरी झुरिओं वाली बाबुल की आँखें
शायद उस वक्त वो सो चुकी थी
आसमां पर बैठे अल्लाह की आँखें
कोमल हाथों से आई अश्क पोछने
बेहद सीलन भरी बेटी की आंखें
कविता लिखते वक्त क्या कहूँ
कितनी रोयी थी विंकल की आंखें
Tuesday, October 20, 2009
वो आसमाँ में,हां मुझे भी जाना होगा....
भरी आँख जरा सी देखी नहीं जाती
खुशदिल की उदासी देखी नहीं जाती
सब को मालूम है बेगुनाह है वो
मुझसे उसकी तलाशी देखी नहीं जाती
वो आसमाँ में,हां मुझे भी जाना होगा
ऑंखें दीद की प्यासी देखी नहीं जाती
कोई निगाहों से भी करदे गर बातें
सच ये भी बदमाशी देखी नहीं जाती
हर मौसम में विंकल खिजा मिली मुझे
अब उजड़ी हर दिशा सी देखी नही जाती
खुशदिल की उदासी देखी नहीं जाती
सब को मालूम है बेगुनाह है वो
मुझसे उसकी तलाशी देखी नहीं जाती
वो आसमाँ में,हां मुझे भी जाना होगा
ऑंखें दीद की प्यासी देखी नहीं जाती
कोई निगाहों से भी करदे गर बातें
सच ये भी बदमाशी देखी नहीं जाती
हर मौसम में विंकल खिजा मिली मुझे
अब उजड़ी हर दिशा सी देखी नही जाती
वो माँ की ऑंखें थी .....
जब खडा था रसोई में
तो लगा
माँ आवाज देगी
गर्म-गर्म बन रही है रोटी
ले बेटा खाले
देख कैसे उठ रही है भाप
गर्म सब्जी से
है ना मजेदार
और
मैंने कह दिया
हूँ
आज माँ मजा ही आ गया
यकायक
मैंने आँखों से आंसू पोंचे
स्टील की थाली में से
दो आँखें
मुझे रोती हुई
ताक रही थी
शायद
वो माँ की ऑंखें थी .....
तो लगा
माँ आवाज देगी
गर्म-गर्म बन रही है रोटी
ले बेटा खाले
देख कैसे उठ रही है भाप
गर्म सब्जी से
है ना मजेदार
और
मैंने कह दिया
हूँ
आज माँ मजा ही आ गया
यकायक
मैंने आँखों से आंसू पोंचे
स्टील की थाली में से
दो आँखें
मुझे रोती हुई
ताक रही थी
शायद
वो माँ की ऑंखें थी .....
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