Tuesday, October 20, 2009

वो माँ की ऑंखें थी .....

जब खडा था रसोई में


तो लगा

माँ आवाज देगी

गर्म-गर्म बन रही है रोटी

ले बेटा खाले

देख कैसे उठ रही है भाप

गर्म सब्जी से

है ना मजेदार

और

मैंने कह दिया

हूँ

आज माँ मजा ही आ गया

यकायक

मैंने आँखों से आंसू पोंचे

स्टील की थाली में से

दो आँखें

मुझे रोती हुई

ताक रही थी

शायद

वो माँ की ऑंखें थी .....

1 comment:

  1. निशब्द और स्तब्ध हूँ 👌👌🙁

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