Thursday, October 22, 2009

तेरे सर पर मेरा हाथ है...

माँ बोली बेटा तुम अब बड़े हो गए हो

देखो अपने कदमों पर खडे हो गए हो


ये कांपते हाथ बेटा क्या कर सकते हें
तेरे लिए हरदम बस दुआ कर सकते हें


मेरी आँखों में ऑंखें डाल तो देख एक पल
तुझे दिखेगा मेरे बेटे तेरे आने वाला कल


मेरी उम्मीदों पर तुम सदा खरा उतरना
भूलके भी कोई तुम बुरा काम ना करना


हमने इज्जत से खाई, इज्जत से कमी है
बेटे इज्जत बनाये रखना इसी में भलाई है


अब भी है प्यार भरा बेटे तेरे लिए सीने में
तेरे लिए जीती हूँ वरना रखा क्या जीने में


शायद कुछ दिन, कुछ महीनो का अपना साथ है
घबराना मत बेटा तुम तेरे सर पर मेरा हाथ है

1 comment:

  1. माँ पर जितनी भी रचनाएँ पढी आपकी सभी में मौलिकता है,भावनाओं का विराट संसार है।एक पीढ़ी की माँ की यही कहानी है 🙁

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