Saturday, July 9, 2022

वक़्त से बेहतर

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तू ख़ुशी की बजाय देख 
बस ग़म की सराय देख 

छाँव अपने सरपर ही 
धूप फिरे उठाए देख 

वक़्त से बेहतर दुनियां में 
कौन भला समझाए देख 

सोच सोच के जीने वाला 
बेमौत ही मर जाए देख 

सच को अनदेखा करके 
विंकल खूब पछताए देख 

गौरव कुमार *विंकल*

4 comments:


  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(११-०७ -२०२२ ) को 'ख़ुशक़िस्मत औरतें'(चर्चा अंक -४४८७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. उम्दा कथन लिए सुंदर गीतिका।

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  3. उम्दा प्रस्तुति आदरणीय ।

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