दूर - दूर तक कोई करीब नहीं , करीब - करीब वो मुझसे दूर है
Wonderful
जी नमस्ते ,आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(३१-१०-२०२२ ) को 'मुझे नहीं बनना आदमी'(चर्चा अंक-४५९७) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है। सादर
बहुत सुन्दर रचना
बहुत ही सुन्दर रचना
मीठे बताशे सी सरल गूढ़ रचना ।
आभार 🙏
Wonderful
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(३१-१०-२०२२ ) को 'मुझे नहीं बनना आदमी'(चर्चा अंक-४५९७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteमीठे बताशे सी सरल गूढ़ रचना ।
ReplyDeleteआभार 🙏
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