Sunday, May 22, 2022

मेरा अहम !

माँ को अहसास है 
जो मेरे पास है 
वो चाहता नहीं पास रहना 

माँ बहुत उदास है 
क्या बात है 
वो चाहती नहीं कहना 
पिताजी सोचते हैं 
खुद को कोसते हैं 
वो गलत थे 
उनकी सोच.....

माँ सोचती है 
अपनी कोख को कोसती है 
जो हुआ गलत हुआ.....

मैं सोचता हूँ
मेरा मरना 
उनके
मरने जैसा होगा

उनका गुजर जाना 
मेरा अहम भी 
नहीं तोड़ पायेगा.....

गौरव कुमार *विंकल*

7 comments:

  1. Very nice Vinkal g

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  2. बहुत सुंदर।

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  3. हृदय को बिंधता सृजन।
    सादर

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  4. जब संतान कुछ एसा कर देती है जो असहनीय हो तो माता पिता ठेस लगने के बाद खुद को ही कोसते हैं।मार्मिक रचना 👌

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