धीमी आंच पे पक रहा था
भड़की भट्ठी, मेरी तरफ़ से
तू लाख मना, अब मुझको
पक्की कट्टी, मेरी तरफ़ से
ज़ख़्म मैंने दिया है तो फिर
मलहम पट्टी, मेरी तरफ़ से
चाहे पानी भी न पूछ मुझे
चाय मट्ठी, मेरी तरफ़ से
विंकल कड़वी यादें दे गया
मीठी बट्टी, मेरी तरफ़ से
गौरव कुमार *विंकल*
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 26 जून 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 26 जून 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अच्छा है .... मीठी बट्टी के साथ बात खत्म हुई ।।
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteचाय मट्ठी मीठी बट्टी
बहुत खूब।