दूर - दूर तक कोई करीब नहीं , करीब - करीब वो मुझसे दूर है
जी नमस्ते ,आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२८-०५-२०२२ ) को 'सुलगी है प्रीत की अँगीठी'(चर्चा अंक-४४४४) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है। सादर
नमस्ते जी, बहुत बहुत धन्यवाद ।
प्रशंसनीय
बहुत सुंदर सृजन
बेहतरीन नज़्म।
आप सभी का बहुत बहुत आभार
लिखा तुम्हारा पढ़ते - पढ़तेअश्क संभाले गिरते - गिरते//वाह रचना!👌👌👌
आभार
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२८-०५-२०२२ ) को
'सुलगी है प्रीत की अँगीठी'(चर्चा अंक-४४४४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
नमस्ते जी, बहुत बहुत धन्यवाद ।
Deleteप्रशंसनीय
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteबेहतरीन नज़्म।
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteलिखा तुम्हारा पढ़ते - पढ़ते
ReplyDeleteअश्क संभाले गिरते - गिरते//
वाह रचना!👌👌👌
आभार
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