माँ ने दी है दुआ,बेटा हमेशा आगे बढ़ना! माँ तुम्हें कभी रुलाया हॉ तौ मुझे माफ करना// आँखें नम हो गई प्रिय गौरव जी।माँ को समर्पित सभी पंक्तियाँ नायाब हैं और विकल मन की अतल गहराइयों से फूटी हैं।माँ सी ममता कहाँ और छाँव कहाँ ।अक्सर हम बहुत गलतियाँ करते हैं और भूल जाते हैं।पर समय की धारा सदा आगे की ओर बहती है।कोई पीछे नहीं लौटता।एक मर्मांतक अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
माँ ने दी है दुआ,बेटा हमेशा आगे बढ़ना!
ReplyDeleteमाँ तुम्हें कभी रुलाया हॉ तौ मुझे माफ करना//
आँखें नम हो गई प्रिय गौरव जी।माँ को समर्पित सभी पंक्तियाँ नायाब हैं और विकल मन की अतल गहराइयों से फूटी हैं।माँ सी ममता कहाँ और छाँव कहाँ ।अक्सर हम बहुत गलतियाँ करते हैं और भूल जाते हैं।पर समय की धारा सदा आगे की ओर बहती है।कोई पीछे नहीं लौटता।एक मर्मांतक अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
आभार
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