दूर - दूर तक कोई करीब नहीं , करीब - करीब वो मुझसे दूर है
बेहतरीन शब्द संजोये है
जी गौरव जी! ये आक्रान्त मन के उद्गार हैं जो हर माँ स्वछन्द संतान के क्रिया कलाप से व्यथित हो कर कहती है।मार्मिक अभिव्यक्ति है !
बेहतरीन शब्द संजोये है
ReplyDeleteजी गौरव जी! ये आक्रान्त मन के उद्गार हैं जो हर माँ स्वछन्द संतान के क्रिया कलाप से व्यथित हो कर कहती है।मार्मिक अभिव्यक्ति है !
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