Tuesday, September 22, 2009

काश तब आईना टूट जाता........


काश तब आईना टूट जाता तो अच्छा था
वरना आज मैं खुद से लड़ता तो नहीं

उसके दामन से कैसे मुझ पर लग गया
दाग बदनामी का आसानी से मिटता तो नहीं

वो उल्टे कदम चल दिए हमें तन्हा छोड़कर
पर दिल किये वादों से पीछे हटता तो नहीं

मासूम सूरत,भोली बातें और चंचल अदाएं
बेवफाई कर सकती हैं ये सब लगता  तो नहीं

रिश्ता जब प्यार का कोई अपना तोड़ जाये विंकल
फिर अजनबी से बात करने का मन करता तो नहीं.

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