मिसाल बेमिसाल दुनियां की
जरा समझ चाल दुनियां की
मन वहशी भेड़िए सा इसका
है इंसानी खाल दुनियां की
नज़रबंद ख़ुदा को कर दिया
चले फिलहाल दुनियां की
जग को अंधियारा बांटती
है ऐसी मशाल दुनियां की
विंकल, लम्हों का मेहमान
उम्र अनंतकाल दुनियां की
गौरव कुमार *विंकल*
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल।
ReplyDeleteआभार
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 22 मई 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteसच ,दुनियादारी समझना आसान नहीं ,सुंदर रचना !!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteबेहतरीन अभिव्यक्ति,बहुत अच्छी गज़ल।
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर, बधाई।
ReplyDeleteआपका यहां आना ही बहुत बड़ी बात है मेरे लिए , बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteविंकल, लम्हों का मेहमान
ReplyDeleteउम्र अनंतकाल दुनियां की//
बढ़िया गौरव जी | पहली बार आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा | मुझे फ़ॉलो का विकल्प नहीं मिला | आप्सेआग्रह है अगर नहीं है तो फ़ॉलो का बटन लगाएं | और किसी दूसरी थीम में ब्लॉग बनायेंगे तो बड़ा अच्छा लगेगा | सस्नेह
मुझे भी बहुत ख़ुशी हुयी आप ऐसे ही अपना आशीर्वाद प्यार बनाये रखना ताकि मैं अच्छा लिखने का प्रयास करता रहूं
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत खूब .....आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा |
ReplyDeleteआभार5
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