जब डरा गयी बेटे की आँखें
तब रोयी बहुत माँ की आंखें
असहाय बनकर देखती रही वो
गहरी झुरिओं वाली बाबुल की आँखें
शायद उस वक्त वो सो चुकी थी
आसमां पर बैठे अल्लाह की आँखें
कोमल हाथों से आई अश्क पोछने
बेहद सीलन भरी बेटी की आंखें
कविता लिखते वक्त क्या कहूँ
कितनी रोयी थी विंकल की आंखें
और पढ़ते समय मेरी आँखें नम हो गई 👌🙏
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