जिन्दगी के सफर में हर कदम पर जिसने तेरा साथ दिया
उस पर हुक्म चलाया क्योँ ?
माँ का दिल दुखाया क्योँ ?
खुश रखा जिसने तुझको आँख में आंसू ना आने दिया
उसकी आँख में आंसू लाया क्योँ ?
माँ का दिल दुखाया क्योँ ?
अपनी हस्ती भी लुटादी जिसने तेरे सपनों को पूरा करने के लिए
उसके सपनों का घर जलाया क्योँ ?
माँ का दिल दुखाया क्योँ ?
हजारों गम सहन किये जिसने तेरे इक सजदे के बदले
विंकल घर छोड़कर आया क्योँ ?
माँ का दिल दुखाया क्योँ ?
भावपूर्ण रचना ....!!
ReplyDeleteAchha likha hai!
ReplyDeleteKoi maa ka dil na dukhaaye!
Shubhkaamnaen!
काश!समय रह्ते हर कोई ये जान ले और मान ले//
ReplyDeleteअत्यंत मार्मिक अभिव्यक्ति प्रिय गौरव जी।